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चैटजीपीटी सेवा देने से पहले न तो आयु की जांच हो रही है और न जरूरी नियमों की पालना हो रहा

चैटजीपीटी सेवा देने से पहले न तो आयु की जांच हो रही है और न जरूरी नियमों की पालना हो रहा

इंटरनेट पर सूचनाओं के आधार पर पनपी कृत्रिम बुद्धिमत्ता का साम्राज्य क्या अब खतरा बनने लगा है? यह आभासी बुद्धिमत्ता, अर्थात एआई तकनीक इतनी मजबूती से सामने आ रही है कि अच्छे-अच्छे वैज्ञानिकों व उद्यमियों को भी आशंकाएं घेरने लगी हैं। इटली में तो एआई चैटजीपीटी को प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहां न केवल एआई सेवा को अवरुद्ध किया जाएगा, बल्कि गोपनीयता संबंधी चिंताओं की भी व्यापक जांच की जाएगी। इतालवी एजेंसी का मानना है कि एआई का इस्तेमाल करने वाले लोगों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने के लिए सिस्टम के पास उचित कानूनी आधार नहीं है। डाटा एल्गोरिद्म को प्रशिक्षित करने में सहायता के लिए जुटाया जाता है, जिससे चैटजीपीटी को सवालों के जवाब देने में सुविधा होती है।
यह एक तरह से हमसे ही चुपचाप सूचनाएं या डाटा लेकर वापस हमें ही बेचने की बुद्धिमत्ता है। सवाल है कि इंटरनेट हमसे जो सूचनाएं ले रहा है और उसका जो नानाविध प्रयोग कर रहा है, क्या उसके लिए हमारी मंजूरी ली गई है?

चैटजीपीटी सेवा देने से पहले न तो आयु की जांच हो रही है और न जरूरी नियमों की पालना हो रही है, ऐसे में, इटली इस पर प्रतिबंध लगाने वाला दुनिया का संभवत: पहला देश बन गया है। इंटरनेट की दुनिया में अनेक तरह के कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है, सामाजिक और आर्थिक नियम-कायदों की अवहेलना हो रही है। एआई पहले उतनी बड़ी ताकत नहीं थी, लेकिन अब इतनी बड़ी ताकत हो गई है कि यह तकनीक स्वत: काम करने लगी है।

बार-बार इंसानों से मंजूरी लेने की जरूरत भी नहीं है। आप दो चीजों की खोज करते हैं, तो तीसरी चीज स्वयं एआई आपके लिए जुटा लाती है। अनेक विशेषज्ञों को यह लगने लगा है कि यह कहीं न कहीं हमारे अनुरूप चलते हुए सेवा का आभास कराते हुए हमारा दुरुपयोग करती है। शायद एक दिन आएगा, चैटजीपीटी या एआई जनित सेवाएं इंसानी व्यवहार पर हावी हो जाएंगी और समाज का संचालन शुरू कर देंगी। इटली में चिंता तो पहले से जारी थी, लेकिन प्रतिबंध का फैसला तब आया, जब कई विशेषज्ञों ने नई एआई प्रणालियों के विकास पर रोक लगाने का आह्वान किया।

यह आशंका जताई जा रही है कि नए एआई उपकरण बनाने की हड़बड़ी खतरनाक साबित हो सकती है। यूरोपीय उपभोक्ता संगठन बीईयूसी ने गुरुवार को यूरोपीय संघ और अधिकारियों से जांच की मांग की है। विशेष रूप से चैटजीपीटी व ऐसी अन्य सेवाओं पर निगरानी रखने के लिए कहा है। गोपनीयता संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए विनियमन की ओर भी इशारा किया गया है। ऐसे कानूनों का अभाव है, जो सूचना या गोपनीयता की रक्षा कर सकें। आने वाले दिनों में यह संभव है कि पूरे यूरोप में ही चैटजीपीटी पर प्रतिबंध लग जाए।

चैटजीपीटी के संचालकों को अपने बचाव के लिए अब ज्यादा सक्रिय होना होगा। उन्हें लोगों को आश्वस्त करना होगा कि इसका दुरुपयोग नहीं होगा। अनुमान है कि विगत दो महीनों में चैटजीपीटी का उपयोग दुनिया के 10 करोड़ लोगों ने किया है। यह तकनीक जिज्ञासा का केंद्र बनी हुई है, मगर क्या इस नई तकनीकी को ज्यादा समय तक रोके रखा जा सकता है? कोई भी नई तकनीक आती है, तो उसका विरोध होता है और अंतत: जब वह विकसित हो जाती है, तब सब उसके इस्तेमाल के लिए विवश हो जाते हैं। एआई और चैटजीपीटी के साथ ऐसा नहीं होगा, कहना मुश्किल है।

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